Tuesday, November 14, 2023

बुद्धिमान केंकड़ा- पंचतंत्र की कहानियां

एक बार एक जंगल में कई सौ चिड़िया एक बड़े  बरगद के पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर रहती थीं | 

चूँकि बरगद का पेड़ काफी बड़ा था इसलिए सभी चिड़िया अपने बच्चों को वहीँ रखतीं थीं | 

एक बार एक सांप उस बरगद के पेड़ के नीचे रहने आ गया और उसने वहां अपना बिल बना लिया | 

धीरे-धीरे वह सांप बरगद के पेड़ के पास के तालाब के कीड़े-मकोड़ों को खाने लगा लेकिन उस से उसका पेट नहीं भरता था |

फिर एक दिन वह सांप बरगद के पेड़ की टहनियों पर चढ़ गया और उन चिड़ियों के घोंसले में रह रहे उनके बच्चों को खाने लगा | 

बुद्धिमान केंकड़ा, चिड़िया, सांप और नेवला !

अब रोज वह सांप किसी न किसी घोंसले में हमला कर के चिड़िया के बच्चों को मार देता था | 

वह सांप इतना भयंकर था कि कोई भी चिड़िया उस से भिड़ना नहीं चाहती थी इसलिए मजबूरी में ही सही पर उन चिड़ियाँ को रोज अपने बच्चे गँवाने पड़ते | 

एक दिन कुछ चिड़िया तालाब के पास बैठकर आंसू बहा रही थीं कि इतने में वहां एक केंकड़ा आ गया और उन से उनकी पीड़ा की बात सुनी | 

सब सुनकर केंकड़े ने सोचा कि यह चिड़िया भी तो केंकड़े के बच्चों को और तालाब की छोटी मछलियों को बेरहमी से मार कर खा जाती हैं तो अगर उसने इन सब की मदद की भी तो भी उसके आने वाले बच्चों को काफी खतरा है |

अब केकड़े ने बुद्धिमानी दिखाते हुए एक ऐसा रास्ता खोजा जिस से सांप भी मर जाता और चिड़िया भी मर जातीं | 

केकड़े ने चिड़ियों को मदद का पूरा भरोसा दिया और बताया कि तालाब के दूसरे छोर पर एक नेवला रहता है और नेवला ही अकेला ऐसा जीव है जो उन को सांप के प्रकोप से छुटकारा दिलवा सकता है |

चिड़िया उस केकड़े की बातों में आ गयीं और तालाब से ले कर सांप के बिल तक छोटी-छोटी मछलियां रख दी जिस की खाते-खाते नेवला सांप के बिल में आ गया | 

जैसे ही सांप ने नेवले को देखा तो उस ने उस के साथ भीषण युद्ध करना आरम्भ कर दिया और देखते ही देखते उस नेवले ने सांप को मार दिया | 
 
अब क्या था नेवले को सांप से लड़ने के बाद काफी भूख लगी तो वह पेड़ पर चढ़ गया और सारे घोंसले नष्ट कर दिए व सारी चिड़िया और उन के बच्चों को खा गया | 

लेकिन अब नेवला पेड़ के ऊपर चढ़ चूका था और खा-खाकर काफी मोटा भी हो गया था इसलिए पेड़ से उतरते समय उसका पैर फिसल गया जिस से वह जमीन पर आ गिरा और वहीँ मर गया |

अब क्या था केंकड़े को ना सांप से खतरा था ना ही नेवले और चिड़ियों से | 

अपनी बुद्धिमानी दिखाते हुए अब केंकड़ा आराम से उस तालाब में रहने लगा |

शिक्षा- शत्रु से मित्रता हमेशा भारी पड़ती है | 

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