एक बार की बात है एक तालाब के पास एक चींटी रहती थी, वह रोज पानी पीने के लिए उस तालाब के किनारे पर जाती थी लेकिन एक दिन पानी पीते-पीते ही वह तालाब में गिर पड़ी और डूबने लगी |
पास के ही एक पेड़ पर बैठा एक कबूतर यह सब देख रहा था |
चींटी को पानी में डूबते देख उस कबूतर ने पेड़ का एक पत्ता पानी में उस चींटी के पास डाल दिया जिस पर चढ़ कर चींटी ने अपनी जान बचाई |
फिर वह कबूतर उस पत्ते के सहारे चींटी को किनारे पर ले आया और चींटी उस कबूतर को धन्यवाद कह कर सकुशल अपने घर चली गयी |
कुछ दिन बाद ही एक शिकारी उस तालाब के पास के जंगल में शिकार करने गया लेकिन कोई भी बड़ा शिकार उस के हाथ नहीं लग सका |
इतने में शिकारी को उस तालाब के पास पेड़ पर बैठा कबूतर दिखा तो उसने सोचा कि क्यों न कम से कम एक कबूतर को ही शिकार बनाया जाए |
यह सोच वह शिकारी अब धीरे-धीरे पांव रख कर उस तालाब के पास पहुँच गया और अपनी बंदूक को उस कबूतर के ऊपर तान दिया |
वह बस बंदूक चलाने ही वाला था कि वह चींटी जिसकी उस कबूतर ने जान बचाई थी उस शिकारी के शरीर पर चढ़ गयी और उसे जोर से काट लिया |
चींटी के काटने के कारण उस शिकारी के बंदूक से निकली गोली उस कबूतर को ना लग कर हवा में यूँ ही चल गयी लेकिन बंदूक के चलने की आवाज के कारण कबूतर सतर्क हो गया और तुरंत ही वहाँ से उड़ गया |
जब वह शिकारी चला गया तो वह कबूतर उस चींटी के पास वापस आया और उसको धन्यवाद भी दिया |
अब दोनों काफी अच्छे मित्र बन गए और समय-समय पर एक दूसरे की मदद भी करते रहते |
शिक्षा- कर भला तो हो भला |
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