Monday, May 29, 2023

मोम का शेर:अकबर बीरबल की कहानी

एक बार की बात है, दूर के एक राज्य फारस से एक जादूगर राजा अकबर के दरबार में पहुँचा |

दरअसल फारस के राजा ने राजा अकबर के बुद्धि-कौशल को जांचने के लिए ही अपने एक दूत को जादूगर बनाकर भेजा था |

राजा के दरबार में पहुंचकर उसने राजा को प्रणाम किया और राजा के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी |

अकबर ने हामी भर दी और अपने सभी मंत्री और सेवकों को भी दरबार में बुला लिया ताकि वह भी जादू देख सकें |

अकबर के दरबार में जादूगर और पिंजरे में उसका मोम का शेर |

उस जादूगर ने तरह-तरह के जादू दिखाकर राजा अकबर के साथ-साथ बाकी सब का भी मन मोह लिया |

अब अपने सारे जादू दिखाने के बाद उस जादूगर ने पहेलियाँ पूछना शुरू किया और दरबार में मौजूद सभी लोगों से उन के उत्तर मांगे |

अब राजा अकबर के दरबार में कई विद्वान मंत्री और पंडित थे जिन्होंने उन पहेलियों को बड़ी ही आसानी से सुलझा दिया |

यह सब देखकर उस जादूगर ने कहा कि अगले दिन वह उन सब को एक ऐसी पहेली देगा जिसको आज तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है और अगर कोई उसे सुलझा ले तो वह उसे 100 सोने की मोहरे भी देगा |

सभी सोच में पड़ गए कि ऐसी कौन सी पहेली होगी जिसे कोई भी सुलझा नहीं सका है | 

दरबार से जाने के बाद सभी बस उस पहेली के बारे में सोच रहे थे और तो और राजा अकबर भी चिंतित थे कि आखिर ऐसी कौन सी पहेली होगी जो आज तक कोई हल नहीं कर पाया है |

अब अगले दिन वह जादूगर दरबार में एक पिंजरा लेकर आया जिसमें एक शेर की मूर्ति थी | 

उस जादूगर ने बताया कि पहेली यह है कि इस शेर की मूर्ति को बिना चाबी की सहायता से जो भी पिंजरे से बाहर निकालेगा वह 100 सोने की मोहरें जीतने का हक़दार होगा और महा ज्ञानी होगा लेकिन बस उस के पास एक ही प्रयास होगा और पिंजरे को तोड़ भी नहीं सकते |

यह सुनकर दरबार में मौजूद सभी लोग सोच में पड़ गए कि बिना पिंजरे को छुए या खोले कोई मूर्ति कैसे बाहर निकालेगा |

सभी की नजर राजा पर टिक गईं और राजा भी सोच में पड़ गए कि आखिर वह कैसे इस पहेली को सुलझाएं |

राजा जानते थे कि अगर वह यह पहेली सुलझा नहीं सके तो उनकी शान में कमी हो जायेगी और अगर आस-पड़ोस के राज्य के राजाओं को इस बारे में पता चलेगा तो उनका मजाक उड़ाया जाएगा | 

राजा ने तुरंत बीरबल को बुलाने का आदेश दिया लेकिन बीरबल राजा के ही काम से पड़ोस के ही राज्य में गया था और उस के आने में कम-से-कम दो तीन दिनों का समय था |

ऐसे में राजा ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस पहेली को सुलझाएगा तो वह उसे अलग से मुँह-माँगा इनाम देंगे और अपने मंत्रिमंडल में जगह भी देंगे | 

राजा की इस बात के लालच में अब राज्य के लोगों ने भी अलग-अलग तरीके से पहेली सुलझाने की कोशश की मगर कोई भी सफल नहीं हुआ |

इस सब में दो-तीन दिन का समय बीत गया और बीरबल वापस दरबार में पहुँच गया |

जादूगर ने बीरबल को पहेली समझायी और बताया कि उसे सिर्फ एक मौका ही मिलेगा |

अकबर, बीरबल और पिंजरे में मोम का शेर |

बीरबल ने तुरंत राजा से कहकर 4-5 लोहे की छड़ों को मंगवाया और उन्हें लाल पड़ने तक गर्म किया और पिंजरे को बिना छुए उसके छेदों में से उन छड़ों को शेर के ऊपर रख दिया |

देखते ही देखते शेर की मूर्ति पिघल गयी और पिघला हुआ मोम उस पिंजरे से बाहर आ गया यानी शेर की मूर्ति बाहर आ गयी |

यह देखा राजा और उस दरबार में मौजूद सभी लोग बीरबल की जयजयकार करने लगे | 

राजा अकबर ने तुरंत बीरबल से पूछा कि यह सब उसने कैसे किया ?

इस पर बीरबल ने जवाब दिया कि हुजूर पहेली तो बड़ी ही आसान थी, मैंने तो बस इस शेर की मूर्ति को थोड़ा गौर से देखा और पता चल गया कि यह तो मोम से बनी हुई है तो पिघल कर बाहर आ जाएगी |

बीरबल ने फिर कहा - बस गौर से ही देखना था हुजूर , मेरा सारा ध्यान बस पहेली पर था परन्तु बाकी सभी का ध्यान या तो इसके इनाम पर या पहेली की कठिनाई पर था |

दरसल यह पहेली तो कठिन थी ही नहीं परन्तु जब जादूगर ने सभी को बताया कि यह कठिन है और आज तक उसे कोई भी हल नहीं कर पाया है तो वो बात सभी के दिमाग में बैठ गयी और वे इसे मुश्किल तरीकों से सुलझाने लग गए जबकि इस को तो बड़ी आसानी से सुलझाया जा सकता था |

जादूगर ने बीरबल से प्रभावित होकर उसे झुककर नतमस्तक किया और अपनी शर्त के मुताबिक़ 100 सोने की मोहरें बीरबल को इनाम स्वरुप दीं |

अब राजा अकबर ने भी बीरबल से कुछ भी मांगने को कहा |

इस पर बीरबल ने उस फसली वर्ष के लिए राज्य के सभी किसानों के लिए कर माफ़ी की इच्छा जाहिर की जो राजा अकबर ने अपने वचन के मुताबिक स्वीकार भी करी |

ऐसे एक बार फिर अपनी बुद्धि के प्रयोग से बीरबल ने राजा अकबर के दरबार का नाम रोशन किया |

Also Read-

No comments:

Post a Comment