एक बार की बात है, एक गांव में एक बहुत ही धनी किसान रहता था, उसके 4 पुत्र थे जो उसकी सभी आज्ञा का पालन किया करते थे |
उसके जीवन में सब कुछ बढ़िया चल रहा था परन्तु एक बात उसे हमेशा खटकती थी कि उसके चारों पुत्रों में आपस में नहीं बनती थी, जिसकी वजह से वह काफी परेशान भी रहता था |
जैसे-जैसे वह बूढ़ा होता जा रहा था उसकी यह चिंता और बढ़ती जा रही थी, उसे पता था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो बाहर वाले इन चारों का फायदा उठा लेंगे |
जब चारों उसके पास आ गए तो उसने अपने सबसे बड़े बेटे से 4 लकड़ी की डंडी लाने को कहा और दूसरे नंबर के बेटे को रस्सी लाने को कहा |
जब रस्सी और लकड़ी आ गयीं तो उसने अपने तीसरे बेटे से इन लकड़ियों को रस्सी से अच्छे से बाँधने के लिए कहा |
जैसे ही लकड़ियां बंध गयीं उसने अपने चारों बेटों से पुछा कि क्या वह इसको तोड़ सकते हैं |
सभी बेटों ने हाँ में जवाब दिया |
फिर उसने एक-एक कर के चार लकड़ी के समूह से बना वह गट्ठा अपने चारों लड़कों को तोड़ने के लिए दिया मगर उसे कोई भी नहीं तोड़ पाया |
अब किसान ने उस गट्ठर में से एक-एक लकड़ियों को निकालकर अपने सभी बेटों के हाथ में थमा दिया और उन्हें तोड़ने के लिए कहा |
उन लकड़ियों को सभी बेटों ने बारी-बारी से बहुत ही आसानी के साथ तोड़ दिया |
वह सभी समझ नहीं पा रहे थे कि उनके पिताजी ने उन से यह सब क्यों करवाया और उन्होंने अपने पिताजी से इस सब के पीछे का कारण पूछा |
पिताजी ने उन सब को समझाया कि जब चारों लकड़ियां एक साथ थीं तब उन को तोड़ना काफी मुश्किल था परन्तु जब उनको अलग-अलग कर दिया गया तो उनको तोड़ना काफी आसान हो गया |
ठीक इसी प्रकार से जीवन में अगर तुम चारों भाई मिल-जुलकर रहोगे और एक दूसरे का साथ निभाओगे तो तुम्हें कोई भी नहीं तोड़ सकेगा अर्थात कोई भी हानि नहीं पहुंचा सकेगा मगर अगर तुम सब अलग-अलग रहोगे व आपस में ही लड़ोगे तो कोई भी आसानी से तुम्हे तोड़ देगा अर्थात तुम्हारा फायदा उठा लेगा |
अब चारों बेटों को पिताजी की यह बात समझ आ चुकी थी और उन्होंने अपने पिताजी से और एक-दूसरे से वादा किया कि अब वह सदैव मिल-जुलकर रहेंगे |
शिक्षा- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि एकता में सबसे बड़ी ताकत होती है , एकजुट होकर असंभव कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है |
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