एक बार की बात है एक गाँव में भोला नाम का एक किसान रहता था जो खेती कर के बड़ी ही मुश्किल से अपने परिवार का गुजारा करता था |
भोला की पत्नी मधु गाँव के एक सेठ के घर पर बर्तन धोने का काम करती थी | उस काम से जो पैसे मिलते उसमें से कुछ पैसे वह अपने पास जमा कर लेती बाकी अपने पति को दे देती थी |
एक दिन मधु सेठ के घर से काम कर के अपने घर लौट रही थी तभी रास्ते में उसकी नजर एक छोटी सी मुर्गी पर पड़ी जिसके पैर में चोट लगी थी |
चोट लगी होने के कारण वह ठीक से चल नहीं पा रही थी | मधु को उस पर दया आ गयी और वो उसे अपने घर ले आयी |
घर लाकर मधु ने उस मुर्गी के घावों पर मलहम लगाया और उस मुर्गी को घर के आँगन में एक घास के ढ़ेर के पीछे छिपा दिया | अब मधु रोज सेठ के घर से काम कर के लौटती और उस मुर्गी की देखभाल करती |
एक दिन जब मधु काम पर से घर वापस आयी और उसने उस मुर्गी को बाहर निकाला तो देखा मुर्गी ने एक अंडा दिया था, मधु ने अंडे को बाहर निकाला तो वह चौंक गई क्यूंकि अंडा कोई साधारण अंडा ना होकर एक सोने का अंडा था |
मधु ने उस अंडे को अगले दिन बाजार में बेच दिया जिस से उसे काफी धन मिल गया | हर बार की तरह उसने इस बार भी कुछ पैसे जमा कर दिए और बाकी अपने पति भोला को दे दिए मगर इतने सारे पैसे देखकर वह भी चौंक गया |
मधु ने भोला को उस सोने के अंडे के बारे में बताया और उसे वह मुर्गी भी दिखाई | भोला बहुत खुश हुआ कि अब उसके घर में सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है जिसके अंडे बेचकर वह बहुत अमीर हो जायेगा |
भोला हर रोज मुर्गी के समीप बैठकर सोने के अंडे का इंतजार करता कि मुर्गी कब अंडा देगी ? कब अंडा देगी ? अब तो वह मधु को भी उस मुर्गी को छूने तक नहीं देता था |
15 दिन बाद मुर्गी ने फिर एक अंडा दिया जिसे भोला ने बाजार जाकर बेच दिया और जो भी धन एकत्रित हुआ उसके वह नए-नए कपड़े ,आभूषण और ढ़ेर सारी मिठाई ले आया |
अब हर 15 दिन बाद मुर्गी अंडा देती और भोला उसे बेचकर धन कमाता जिस से वह अपने सभी शौक पूरे करता और बिना सोचे-समझे खर्च करता रहता जिस के कारण उसका धन अगले अंडे के आने से पहले ही खर्च हो जाता |
इस सब के कारण वह धैर्य खो बैठा और उसका लालच और बढ़ गया | एक दिन उसने सोचा कि क्यों न मुर्गी के पेट को फाड़कर एक साथ सारे अंडे निकाल लूँ, हर 15 दिन इंतजार करने का किस्सा ही खत्म हो जायेगा |
मधु की गैर-मौजूदगी में भोला ने अपनी रसोई से एक चाकू ले लिया और मुर्गी के पेट को फाड़ दिया |अब अंडे तो नहीं निकले पर मुर्गी का पेट फटने के कारण वह वहीँ मर गयी |
मधु जब घर आयी और उसने यह सब देखा तो वह दंग रह गयी और वहीँ सर पकडकर बैठ गयी |
भोला भी वहीँ एकदम चुप-चाप बैठा था, वह समझ गया था कि अब ना होगी मुर्गी ना ही सोने के अंडे |
उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ, वह समझ गया था कि लालच बुरी बला है !
शिक्षा-लालच बुरी बला है |
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"Sone ka anda dene wali murgi" bahut hi prenadaayak kahani hai.
ReplyDeleteIs ka graphic kya aapne khud hi banaya hai,ekdum book jaisa lag raha hai.
Laalchi kissan aur murgi ki kahani jeevan ke har padav me sahayta deti hai.
ReplyDeleteIs kahani se mujhe ek hi shiksha milti hai - BE PATIENT.
Patience seekhne ke liye yeh story jarur padhni chahiye.