उससे सभी जानवर डरते थे और उसे देखकर सभी भाग जाते थे | अपने इसी आतंक के कारण उसने खुद को उस जंगल का राजा घोषित कर दिया था |
एक दिन बहुत देर तक उस शेर को कोई भी शिकार नहीं मिला जिसके कारण वो शिकार ढूंढते-ढूंढते मैदान की तरफ चला गया | सभी जानवर तो उस से छिपकर भाग गए थे लेकिन उसने एक सोती हुई लोमड़ी को देख लिया |
शेर ने बिना देर किए लोमड़ी को दबोच लिया जिस से लोमड़ी की नींद खुल गयी | शेर ने लोमड़ी को खाने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि लोमड़ी ने उसे रोक लिया |
लोमड़ी बहुत चालाक थी और इस संकट से निकलना जानती थी |
चालाक लोमड़ी ने शेर से कहा कि वह उसे ना मरे, वह शेर की सेवा करेगी और शिकार पकड़ने में उसकी सहायता भी करेगी |
शेर ने कहा कि वह तो जंगल का राजा है और उस से अच्छा शिकार कोई नहीं कर सकता तो फिर लोमड़ी की मदद की क्या जरुरत |
लोमड़ी ने कहा-"मैं जानती हूँ प्रभु कि आप से अच्छा शिकार कोई नहीं कर सकता लेकिन आप को शिकार करते देखा है मैंने, आप शिकार करते-करते बहुत थक जाते हैं तो मैं आपकी इस समस्या का समाधान कर दूंगी | मैं आपके लिए शिकार लाया करुँगी |"
शेर ने लोमड़ी से पुछा कि तुम शिकार लाओगी कैसे तुम राजा शेर थोड़े ही हो कि सभी जानवर तुमसे डरेंगे |
"प्रभु,मैं आपकी तरह नहीं हूँ पर मुझ से भी सभी जानवर डरते हैं"-लोमड़ी ने कहा
शेर ने कहा-"तुम झूठ बोल रही हो ताकि तुम बच जाओ लेकिन मैं तुम्हें खाकर ही रहूँगा |"
लोमड़ी ने कहा- "आप चाहें तो सबूत देख सकते हैं, आप बस मेरे पीछे-पीछे आ जाईये और देखिये कैसे सभी जानवर मुझ से डरकर भाग जाते हैं |"
अब लोमड़ी जंगल में जहाँ-जहाँ से गुजरती आस-पास के सभी जानवर भाग जाते |
शेर को लग रहा था कि सब लोमड़ी से डर रहे थे लेकिन उसे तो पता ही नहीं था कि सभी जानवर उस से ही डर रहे थे लोमड़ी से नहीं क्यूंकि वह लोमड़ी के पीछे-पीछे ही आ रहा था |
शेर ने लोमड़ी से कहा कि वह तो वाकई में उसके काम की है और उसकी जान बख्श दी |
शेर ने अब लोमड़ी को अपना सचिव बना दिया और उसकी सहायता से आसानी से शिकार करता |
- "नेताजी का चश्मा" देशभक्ति की कहानी
लोमड़ी जंगल में घुस जाती लेकिन कोई उस से डर कर नहीं भागता परन्तु शेर अचानक पीछे से आकर जानवरों पर टूट पड़ता और उन्हें अपना शिकार बना लेता |
अब शेर बिना ज्यादा भाग-दौड़ किए जानवरों को पकड़ता और बहुत चाव से खाता, साथ ही वह लोमड़ी को भी एक हिस्सा खाने के लिए दे देता था |
चालाक लोमड़ी ने अपनी बुद्धि से ना खुद की जान बचाई बल्कि अब वह जंगल के राजा की सचिव बन गयी थी और उसे खाना भी बड़ी ही आसानी से मिल जाता था |
शिक्षा- हम अपनी बुद्धि का उपयोग करके बड़े से बड़े संकटों से भी बाहर निकल सकते हैं |
"Chaalaak lomdi aur sher ki kahaani" se hume har mushkil ka dat kar saamna karne ki seekh milti hai.
ReplyDeleteCan you share 4 other short stories on sher, ye mera vacation ka project hai hindi ka.
Bahut help milegi.
धन्यवाद! मृदुल, मैं जल्द से जल्द कोशिश करूँगा | 5 best stories शेर के ऊपर जल्द जी आएँगी | Keep reading astoriesbook
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