एक बार की बात है एक गधा था जिसकी माँ ने उसे प्रशिक्षण लेने अपने मुँहबोले भाई घोड़े के पास भेज दिया था जिसके कारण वह अपने साथियों की तरह मुर्ख ना होकर चालाक बन गया था |
वह रोज सुबह अपने मामा घोड़े से दौड़ना सीखता और दोपहर को वापस अपने घर आ जाता | एक दिन उसे दोपहर के समय अपने घर लौटते हुए थोड़ी भूख लग रही थी तो वह पास की नदी किनारे घास चरने चला गया |
घास काफी ताजा थी जिसके कारण वो बिना रुके घास खाता जा रहा था लेकिन घास खाने में मगन वो धीरे-धीरे जंगल की तरफ चला गया |
जंगल में पहुँचते ही एक बूढ़े शेर की नजर उस पर पड़ गई और वो उसे खाने के लिए उसकी तरफ दौड़ा जिसके कारण गधे का ध्यान घास से हटकर शेर की तरफ पड़ा |
शेर को देखकर गधा काफी डर गया परन्तु उसने सोचा कि जितना डरूंगा उतना ही शेर मुझ पर हावी होगा तो क्यों ना शेर से भिड़कर देखा जाए, शायद बच जाऊं !
यह सोचकर गधे ने अपने चालाक दिमाग का उपयोग करते हुए शेर से कहा-"प्रभु, मैंने आपके बारे में बहुत सुना था और आज देख भी लिया | आप कितने ताकतवर हो, कितने प्रभावशाली हो |"
"मैं आपके सामने बहुत तुच्छ हूँ और इसलिए मैं खुद को आपके सामने पेश करने आया हूँ | आप मुझे खाकर मुझ पर कृपा करें |"
शेर का सीना गर्व से चौड़ा हो गया और शेर गुर्राहट के साथ गधे को खाने को आगे हुआ |
परन्तु गधे ने शेर को फिर टोक दिया-"प्रभु आप मुझे सर की तरफ से मत खाइए क्यूंकि गधों के पास दिमाग नहीं होता है, गधों को पैरों की तरफ से खाया जाता है जिस से ज्यादा ताकत मिलती है |"
यह सुन शेर गधे के सर की जगह टांगों की तरफ मुड़ गया और आगे बढ़ने लगा लेकिन तभी गधे ने अपनी दोनों टांगों को शेर के मुँह पर जोरो से मारा |
दुलाती लगने के कारण शेर दूर घास-झाड़ियों में जाकर गिर गया और काफी घायल भी हो गया | गधा भी बिना देर किए वहाँ से तेज रफ्तार के साथ भाग गया |
शेर का घमंड चूर-चूर हो गया और वह बहुत लज्जित था क्यूंकि आज एक गधे ने ही उसे मुर्ख बना दिया |
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