वह बन्दर राजा की सभी आज्ञा का पालन करता था और राजा पर कोई भी संकट नहीं आने देता था |
जब राजा खाना खाता तो वह बन्दर पहले चख कर देखता कि कहीं खाने में जहर तो नहीं और फिर ही राजा को खाना खाने देता और तो और जब राजा विश्राम करते तो वो उनके लिए पंखे से हवा भी करता ताकि राजा बिना किसी परेशानी के सो सकें |
उस बन्दर में सारी खूबियां थीं बस एक कमी थी, वह बहुत ही मूर्ख था | उसे कोई भी काम ठीक-ठीक समझ नहीं आता था और ना ही वह एक साथ दो-तीन कामों का ध्यान रख सकता था |
उसे बस एक काम रम जाता तो वह जब तक मना ना करा जाए या जब तक उस का मन ना भर जाये वह बस उसे ही करता रहता |
एक दिन राजा विश्राम कर रहा था, इतने में वह बन्दर आकर बड़ी ही तल्लीनता(ध्यानमग्न) से पंखे से राजा की हवा करने लगा |
कुछ देर बाद बन्दर ने देखा कि एक छोटी-सी मक्खी राजा के आसपास मंडरा रही है |
उसे लगा कि कहीं राजा उस मक्खी के भिन-भिनाने से उठ ना जाएँ इसलिए वह उस मक्खी को भगाने की कोशश करने लगा |
अब मक्खी कभी राजा की छाती पर बैठ जाती तो कभी गाल पर बैठ जाती पर वहां से जाने का नाम ही नहीं ले रही थी |
यह देख बन्दर को गुस्सा आ गया और उसने राजा की तलवार उठा ली और हवा में उस मक्खी पर वार करने लगा |
अब जब मक्खी राजा के सर पर बैठी तो बन्दर ने तुरंत तलवार चला दी जिस से मक्खी तो नहीं मरी पर राजा के सर के कुछ बाल कट गए |
फिर मक्खी जाकर राजा की मूंछ पर बैठ गयी तो बन्दर ने फिर तलवार से मक्खी पर वार किया और इस बार भी मक्खी तो मरी नहीं परन्तु उसकी मूंछें कट गयीं |
अब मक्खी जाकर राजा के गले पर बैठ गयी लेकिन जब तक बन्दर वार करता तब तक राजा की नींद खुल गयी और बन्दर को तलवार लिए गुस्से में देख राजा डर गया और कमरे से बाहर भाग गया और जैसे-तैसे अपनी जान बचाई |
शिक्षा- नादान से दोस्ती कभी-कभी जी का जंजाल बन जाती है |
इस कहानी के बारे में एक साउथ इंडिया की मूवी ध्रुवा(DHRUVA) में भी बताया गया है, अगर आप को यह कहानी पसंद आयी तो हमें कमेंट कर के जरूर बताएं |
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