Saturday, May 27, 2023

चींटी और टिड्डे की कहानी - सर्द रात | hibernation

एक बार की बात है बहुत ही गर्मी पड़ रही थी, ज्यादातर जानवर खाना खा कर छांव में आराम कर रहे थे लेकिन एक चींटी एक किसान के खेत से अनाज के एक-एक दाने को बीन-बीनकर अपने बिल में ले जा रही थी |

वह रोज तेज धूप निकलने से पहले ही दाना इखट्टा करती और धूप जाने के बाद से लेकर रात को सोने तक निरंतर बस एक-एक दाना जमा कर रही थी |

चींटी धुप में अनाज के दाने को जमा(इक्खट्टा) कर रही है |

उस को यह सब करते देख उसी के बगल में रहने वाला टिड्डा उस का मजाक उड़ाता और उसे यह सब मेहनत के काम छोड़कर उसके साथ मौज-मस्ती करने के लिए कहता था |

चींटी उस टिड्डे की बात को अनसुना कर देती और निरंतर बस अनाज जमा करने में लगी रहती |

वह टिड्डा उस चींटी को हमेशा समझाता कि कल किसी ने नहीं देखा है वह बस आज में जिया करे और उस की तरह ही नाचे-गाये व मौज-मस्ती करे |

लेकिन चींटी उसे भी अनाज जमा करने की सलाह देती ताकि बाद में उसे भी खाना मिल सके |

ऐसे ही करते-करते पूरी गर्मी का मौसम बीत गया और सर्दी का मौसम आ गया |

हर तरफ बस तेज ठंडी हवाएं चलने लगीं और अनाज मिलना मुश्किल हो गया |

गर्मी के मौसम में मस्ती करने वाला टिड्डा भी इतनी भीषण सर्दी में ठण्ड से कंपकपा रहा था और उसे खाने के लिए भी कुछ नहीं मिल रहा था जिस के कारण वह ठण्ड व भूख से मरने की कगार पर आ गया था |

भीषण सर्दी में टिड्डा भूखे पेट कंपकंपा रहा है

एक सर्दी भरी रात में वह ठण्ड से कंपकपा ही रहा था किउसने देखा कि वही मेहनती चींटी मजे से अपने बिल में अनाज खा रही है और उस पर सर्दी से निपटने के भी सभी प्रकार के इंतजाम हैं | 

उसे अब अफ़सोस हो रहा था कि अगर उसने भी चींटी की बात सुनकर आराम करने के बजाय थोड़ा अनाज इखट्टा कर लिया होता तो उसे आज यह दिन नहीं देखना पड़ता व उस पर भी पर्याप्त भोजन होता |

शिक्षा-हमें अनुकूल परिस्थिति में भी मेहनत करना नहीं छोड़ना चाहिए | 

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