एक बार की बात है एक कुत्ता कई दिनों से भूखा था, रोटी ना मिलने के कारण वह पानी पीकर ही अपना पेट भर रहा था |
एक बार गांव से बाहर जाने वाले रास्ते पर उसे एक स्थान पर एक सूखी रोटी पड़ी दिखी जिसे देखकर वह उसको खाने के लिए दौड़ा |
जैसे ही उसने रोटी अपने मुँह में दबाई उसने देखा कि उसके जैसा एक और कमजोर कुत्ता रोटी की तलाश में इधर-उधर घूमता फिर रहा है |
उसे डर लगने लगा कि कहीं वह उस से आधी रोटी ना मांग ले इसलिए वह पूरी रोटी मुँह में दबाकर गांव से दूर जंगल में चला गया ताकि वह अकेले ही आराम से रोटी खा सके |
जब वह जंगल में अंदर की तरफ जा रहा था तो उसे एक नदी दिखी जिस पर एक पुल बना हुआ था जिसे वह पार करने लगा |
जब वह पुल पार कर रहा था तो उसे पुल के नीचे बह रहे पानी में अपना प्रतिबिंब(परछाई) दिखाई दिया |
उस को देखकर कुत्ते को लगा कि पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जो रोटी लेकर खड़ा है | उसने देखा कि यह कुत्ता तो काफी कमजोर भी लग रहा है तो क्यों ना इस कुत्ते को डराकर इसकी भी रोटी छीन लूँ |
जैसे ही कुत्ते ने डराने के लिखे भौंका और मुँह खोला वैसे ही उसके मुँह में दबी हुई रोटी नीचे पानी में गिर गई |
अब वह इतने गहरे पानी में छलांग लगाता तो पानी में बह जाता इसलिए निराश होकर वापस गांव लौट गया |
गांव लौटते हुए उसने देखा कि गांव के एक सेठ ने एक दावत की थी जिसकी बची हुई रोटियों को उसने उस दूसरे कुत्ते को डाल दिया था जिसे देखकर वह जंगल में भाग गया था ताकि अकेले ही पूरी रोटी खा सके |
वह यह सब देख ही रहा था कि दूसरे कुत्ते ने उसे भी अपने साथ खाने के लिए बुला लिए | अब पहला कुत्ता समझ चुका था कि उसे भी मिल बांटकर खाना चाहिए था और उसे अपने किये पर पछतावा हो रहा था |
शिक्षा- लालच बुरी बला है, हमें सब के साथ मिल बाँटकर खाना चाहिए |
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