एक बार की बात है, एक तालाब में एक कछुआ रहता था जो काफी बूढ़ा था और काफी भोला भी था |
उसमें सभी अच्छी आदतें थीं बस एक ही बुरी आदत थी कि वह बोलता बहुत ज्यादा था |
एक बार एक हंस का जोड़ा पानी पीने के लिए उसी तालाब के पास आया जहाँ दोनों की मुलाकात इसी कछुए से हुई |
कछुए ने उन हंसो को देखा तो उनसे बातें करना शुरू कर दिया |
अब चूँकि कछुआ काफी बड़ा-बूढ़ा था तो उस की बातें हंसों को काफी अच्छी लगीं जिसके कारण अब वो रोज ही उस तालाब के पास पानी पीने के लिए आते और कछुए से बातें करते |
कछुआ भी उन्हें काफी किस्से-कहानियां सुनाता था जिसके कारण अब तीनों काफी अच्छे मित्र भी बन गए |
काफी समय तक ऐसे ही चलता रहा लेकिन एक बार उस तालाब के आसपास बहुत ही भयंकर सूखा पड़ा जिसके कारण तालाब भी लगभग सुख सा गया था और उस हंस के जोड़े ने भी वहाँ आना बंद कर दिया था |
एक दिन दोनों हंस किसी दूसरे तालाब में से पानी पी रहे थे तो उन्होंने वहां कछुओं का एक झुण्ड देखा जो मजे से पानी में तैर रहा था |
उस झुण्ड को देख उन्हें अपने उस बूढ़े कछुए मित्र की याद आ गयी |
उन्होंने सोचा कि हम तो उड़ कर यहाँ तक आ गए पर पता नहीं वह अभी किस हाल में होगा या जिन्दा भी होगा या नहीं |
यह सोचकर वह तुरंत ही अपने मित्र से मिलने के लिए उड़ गए |
जैसे ही वह उस तालाब के पास पहुंचे उन्होनें देखा कि पूरा तालाब अब एक दलदल में बदल चुका है और सारे के सारे जल में रहने वाले जीव उसी में फंस कर मर गए हैं |
वह यह सब देख ही रहे थे कि दलदल के ही एक गड्ढे में जहां थोड़ा सा पानी बचा हुआ था वहां से उन्हें अपंने मित्र कछुए की आवाज आयी |
वह उन्हीं की तरफ देख कर उन्हें बुला रहा था |
जब दोनों हंस उस कछुए के पास पहुंचे तो उन्होंने उसे वहां से करीबन 100 मील दूर के तालाब में चलने की पेशकश रखी जहाँ उसे खूब सारा पानी भी मिलता |
अब कछुए ने कहा कि वो तो इतना धीरे चलता है कि 100 मील दूर पहुँचाने में ही उसे तकरीबन 2-3 साल लग जाएंगे और इस उम्र में इतना चलना उस के लिया संभव नहीं था |
यह सुन हंसो ने एक युक्ति निकाली और एक सूखे पेड़ की डंडी लेकर आये |
अब उन दोनों ने उस कछुए से उस डंडी को अपने मुँह में दबाने के लिए कहा और दोनों हंसों ने उस डंडी का एक एक छोर अपनी चोंच में पकड़ लिया और उस कछुए को साथ लेकर उड़ने लगे |
उड़ने से पहले उन्होंने उस कछुए को एक चेतावनी भी दी कि वह अपनी आदत से मजबूर होकर बोले नहीं बस चुपचाप उस लकड़ी को अपने दांतों और मुँह की मदद से पकडे रहे नहीं तो वह नीचे गिर जाएगा |
अब जैसे ही वह थोड़ी दूर पहुंचे तो एक गांव पड़ा जहाँ के बच्चों ने जब दो हंसो को और कछुए को इस तरह से उड़ते हुए देखा तो वह सब आश्चर्यचकित होकर चिल्लाने लगे और उन्हीं में से कुछ शैतान बच्चे उन पर पत्थर भी मारने लगे |
अब दोनों हंसों ने तो इस सब को अनसुना कर दिया व उड़ने पर ध्यान देने लगे मगर कछुए से रहा ना गया और अपनी आदत से मजबूर होकर उसने उन बच्चों को भला-बुरा कहना शुरू कर दिया |
मगर जैसे ही कछुए ने कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला वह लकड़ी से छूट कर नीचे गिर गया जहाँ उन बच्चों ने उसे पकड़ लिया |
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