Thursday, May 25, 2023

एक बकरे और दो बैलों की कहानी

एक बार की बात है एक गाँव में एक किसान रहता था जिसके पास एक बकरा और दो बैल थे |

उन दोनों बैलों से वह अपने खेतों में हल चलवाता था और उनकी सहायता से कोल्हू भी चलाता था |

दोनों बैल दिन भर काम करते थे पर फिर भी उन्हें रुखा-सूखा ही खाना पड़ता था | दोनों बैल ज्यादा काम कर कर के काफी कमजोर भी हो गए थे |

बकरे और दो बैलों की कहानी |

इधर दूसरी तरफ उस किसान का बकरा दिन भर बस घास ही चरता रहता था जिसके कारण वह काफी मोटा भी हो गया था |

एक दिन किसान ने हल चलाने के बाद दोनों बैलों को एक खूंटे से बाँध दिया और वह बकरा घास चरते-चरते उन बैलों के पास जा पहुँचा |

वह उन दोनों के पास जाकर हँसते हुए बोला-"भाई ! मैं तुम दोनों से सहानुभूति रखता हूँ, तुम्हारा जीवन काफी परिश्रम भरा है और तुम्हें अच्छा खाने को भी नहीं मिलता | लगता है यह तुम्हारे पिछले जन्म के पापों की सजा है |"

"जरूर मैंने पिछले जन्म में कई अच्छे कर्म किये होंगे जो मुझे तुम दोनों के जैसा जीवन ना मिलकर बहुत ही अच्छा जीवन मिला है |"

"मुझे ना तो तुम दोनों के जैसे सुबह-सुबह जल्दी उठना पड़ता है और ना ही हल चलाना होता है | मुझे तो दिनभर बस हरीभरी घास खाने के लिए मिलती है और वो भी बिना परिश्रम किये |"

उसने यह भी कहा कि वह उनकी मदद तो करना चाहता है पर मजबूर है कर नहीं सकता |

वे जानते थे कि बकरा उन दोनों को हमदर्दी के बहाने ताने मार रहा है इसलिए दोनों बैल चुपचाप उसकी बातें सुनते रहे |

कुछ दिन बीत जाने के बाद किसान ने बकरे को घी चुपड़ी हुई रोटी भी खिलाना शुरू कर दिया लेकिन बैलों को वही रुखा-सूखा भोजन ही मिलता |

यह सब देख एक बैल ने दूसरे से कहा-"मित्र ! मुझे लगता है बकरा सही ही कह रहा था, जरूर हमने पिछले जन्म में बहुत पाप करे होंगे और बकरे ने पुण्य जो इतनी मेहनत-मजदूरी कर के भी हमें रूखी-सुखी रोटी ही मिलती है पर बकरे को घी के साथ चुपड़कर रोटी खिलाई जा रही है |" 

इस सब पर दूसरे बैल ने कहा-"भगवान ने जिसकी किस्मत में जैसा लिखा है वैसा ही होता है हमें तो बस अपने कर्म करते रहने चाहिए |"

कुछ हफ्ते बीत जाने के बाद एक सुबह एक कसाई उस किसान के पास आकर उस से कुछ बातें कर रहा होता है |

थोड़ी देर बाद वह किसान उस बकरे के वजन को तोलकर उसे उस कसाई को सौंप देता है |

इस सब को होता देख अब बकरे को भी समझ में आ गया होता है कि उसे इतने दिनों से घी की रोटियां क्यों खिलाई जा रहीं थी और बिना मेहनत किये हुए मिला हुआ फल कितना खतरनाक साबित होता है |

वह जोर-जोर से रस्सी खींचकर भागने की कोशिश करता है मगर भाग नहीं पाता | 

दोनों बैल अपने-अपने जीवन के लिए ईश्वर को शुक्रिया करते हैं, वह बकरे को बचाना तो चाहते हैं पर मजबूरी के कारन कुछ कर नहीं सकते |

वह किसान उन दोनों बैलों को वापस हल चलाने के लिए ले जाता है और दोनों बैल ख़ुशी-ख़ुशी हल चलाते हैं |

दोनों बैलों को अब समझ में आ जाता है कि जिसकी किस्मत में जो लिखा होता है उसे वही मिलता है, हमें तो बस अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए |

शिक्षा-बिना मेहनत के कोई फल नहीं मिलता | अगर मिल रहा है तो सचेत हो जाएँ |

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