एक तालाब में बहुत सारे मेंढक रहा करते थे लेकिन धीरे-धीरे वह तालाब सूख रहा था इसलिए मेंढकों के सरदार ने सारे मेंढकों से कहीं और चलकर बसने के लिए कहा |
सरदार ने अपने एक दूत मेंढक को उनके लिए एक अच्छा-सा नया तालाब खोजने के लिए कहा |
दूत मेंढक ने जल्दी ही पास का ही एक तालाब ढूंढ लिया जो पानी से काफी लबालब था |
अब सरदार की बात से सेहमत होकर सभी मेंढक पास के ही दूसरे तालाब की ओर चल दिए |
सबसे पहले एक टोली रवाना हुई जिसमें एक बहरा मेंढक भी था |
टोली कुछ ही दूर चली होगी कि वो बहरा मेंढक और एक दूसरा मेंढक एक गहरे गड्डे में गिर गए |
दोनों मेंढकों के गड्डे में गिरते ही टोली के बाकी मेंढकों के बीच हाहाकार मच गया |
सभी विलाप करने लगे और चिंतित होने लगे कि गड्डा काफी गहरा है और अब यह दोनों इस में से नहीं निकल पाएंगे |
आनन-फानन में एक मेंढक को सरदार को सूचना देने के लिए भी भेजा |
गड्डे में गिरे दोनों मेंढक अब उछल-उछल कर गड्डे से बाहर निकलने का प्रयास करने लगे लेकिन निकल नहीं पा रहे थे |
उन दोनों को प्रयास करता देख ऊपर से बाकी मेंढकों ने कहना चालू कर दिया कि वह बेकार में ही मेहनत कर रहे हैं, खामखां में ही अपनी ऊर्जा व्यर्थ कर रहे हैं और अब वे इस में से नहीं निकल सकते |
यह सुनते ही एक मेंढक थोड़ा ढ़ीला पड़ गया और उस ने उछलना कम कर दिया लेकिन दूसरे मेंढक ने और जोर-जोर से उछलना शुरू कर दिया |
जोर-जोर से उछलने के कारण दूसरा मेंढक हांफ रहा था और एक बार तो वह गिरते-गिरते बचा |
ऐसे में बाकी मेंढक उसे जोर-जोर से चीखकर मन करने लगे कि वह ऐसा ना करे नहीं तो मर जाएगा लेकिन वह तो और जोर-जोर से कूंदकर उस गड्डे से बाहर आ गया |
जैसे ही मेंढक बाहर आया बाकि मेंढक काफी आश्चर्यचकित हो गए और इस नामुमकिन काम को कर दिखने के लिए उसे बधाइयां देने लगे |
सभी ने पुछा कि उसने यह नामुमकिन काम को मुमकिन कैसे किया परंतु उस मेंढक ने उन सब में से किसी की भी बातों का जवाब नहीं दिया |
सभी को लगा कि उछलते समय शायद उसको कोई चोट लगी है जिस से वो अपनी बुद्धि का सही उपयोग नहीं कर पा रहा है |
इतने में वहां मेंढकों का सरदार आ गया और पूरी कहानी समझी |
अब सरदार मेंढक जानता था कि बाहर निकलने वाला मेंढक तो बहरा है तो उस मेंढक से सरदार ने पूछा कि वह बाहर कैसे आया तो उसने कहा कि बाकी मेंढक उसका होंसला बढ़ा रहे थे तो उसको और हिम्मत मिली और वो बाहर आ गया |
उन में से एक मेंढक ने सरदार से कहा कि इसकी होंसलाअफजाई तो किसी ने नहीं की बल्कि सभी इसे उछलने से मन कर रहे थे और इस कार्य को नामुमकिन बता रहे थे |
सरदार समझ गया कि मेंढक तो बहरा है तो जब बाकि मेंढक उसे बाहर आने से मना कर रहे थे तो शायद उसे लगा होगा कि वह सब उसकी होंसलाअफजाई कर रहे हैं और इसी के चलते वह बाहर निकलने की और जोर-जोर से कोशिश करने लगा और बाहर निकल गया |
वहीं दूसरी तरफ उस दूसरे मेंढक ने बाकी लोगो की बातों पर ध्यान दिया और बिना ज्यादा कोशिश किये ही हार मान ली व इस गड्डे से निकल नहीं पाया |
शिक्षा- हमें अपने लिए कही हुई कड़वी बातों पर ध्यान ना देकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर अटल रहना चाहिए |
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