Wednesday, June 7, 2023

चतुर ब्राह्मण और एक राक्षस की कहानी

कुछ सालों पहले एक गांव के रास्ते में एक पेड़ हुआ करता था जिसपर बमबना नाम का एक खूंखार राक्षस रहा करता था | 

वह राहगीरों को अपने जाल में फँसाकर उनके कंधे पर बैठ जाता था और मौका मिलते ही उन्हें खा जाता था |

राक्षस ब्राह्मण के कन्धों पर बैठता हुआ |

एक दिन एक ब्राह्मण उसी गांव में कथा कहने के लिए आये |

जब उन्होंने कथा पूरी कर ली और वह चलने के लिए हुए तो कुछ गांववालों ने उन्हें रोककर उन्हें गांव की इस समस्या से अवगत कराया और उन से उस राक्षस से छुटकारे के लिए कुछ उपाय करने के लिए कहा |

गांव के लोगो ने बताया कि यह राक्षस अधिकतर सुबह के समय अपना शिकार करता है |

पहले तो वह अचानक से लोगों के कन्धों पर बैठ जाता है फिर वह उन से पास के ही तालाब की तरफ चलने के लिए कहता है ताकि वह तालाब में स्नान कर सके | 

जो उसकी बात नहीं मानता है वह उसे खा जाता है और जो उसकी बात मानकर उसे तालाब तक ले जाता है तो वह तालाब से वापस लौटते समय उसे भी खा जाता है | 

ब्राह्मण काफी चतुर,निडर और बुद्धिमान थे तो उन्होंने तुरंत ही गांववालों के साथ उस पेड़ के पास जाने का फैसला किया |

जैसे ही ब्राह्मण पेड़ के पास पहुंचे वैसे ही वह राक्षस उनके कन्धों पर बैठ गया |

ब्राह्मण के कन्धों पर बैठते ही राक्षस ने उसे तालाब पर लेकर जाने के लिए कहा और कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो मारे जाएंगे |

ब्राह्मण को थोड़ा शक हुआ तो उन्होंने पूछा कि वह तो इतना शक्तिशाली है तो खुद चलकर ही तालाब तक क्यों नहीं जाता |

इस पर राक्षस ने कहा कि वह गीले पैरों से जमीन पर पैर नहीं रख सकता इसलिए लोगों के कन्धों पर बैठकर ही आता-जाता है |

ब्राह्मण ने पूछा कि फिर वह पेड़ को छोड़कर उस तालाब में ही क्यों नहीं रहता, वहां तो उसे खाने के लिए जल के जीव भी मिलेंगे | 

इस पर राक्षस बताता है कि तालाब में तो वह रोज बस अपने पाप धोने जाता है, अगर वह ज्यादा देर गीला रहेगा तो उसका शरीर गल जायेगा |

बातें करते-करते वह तालाब के पास पहुँच गए |

वहां पहुंचते ही राक्षस ने ब्राह्मण से भी उसी के साथ रुकने के लिए कहा नहीं तो जान से मारने की धमकी भी दी |

अब ब्राह्मण के पास कोई चारा नहीं था इसलिए वह भी वहीँ रुक गया और राक्षस तब तक तालाब में स्नान करने के लिए चला गया |

ब्राह्मण अब बाकी लोगों की तरह डरे नहीं बल्कि उन्होंने अपनी तीव्र बुद्धि का उपयोग करना शुरू किया |

ब्राह्मण ने अब थोड़ा गौर किया कि राक्षस गीले पैरों से जमीन पर चल नहीं सकता तो अगर अब मैं यहाँ से निकल भी जाता हूँ तो वह तालाब में ही फंस जाएगा और मेरा पीछा भी नहीं कर पायेगा |

अब क्या था, ब्राह्मण वहां से भाग गए और राक्षस तालाब में ही फंस गया और धीरे-धीरे वह गीला होने की वजह से वहीँ खत्म हो गया |

शिक्षा- शत्रु का भेद लेकर और थोड़ी बुद्धिमानी दिखाकर हम उस शत्रु को परास्त कर सकते हैं | 

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