Tuesday, July 25, 2023

जादुई चक्की की कहानी

एक बार की बात है समुद्र के पास के एक गांव में दो भाई रहा करते थे जिसमें से एक का नाम विजय और दूसरे का नाम संजय था |

बड़ा भाई विजय बड़ा ही आलसी एवं मतलबी व्यक्ति था जो सिर्फ अपनी ही भलाई के बारे में सोचता था लेकिन छोटा भाई संजय मेहनती व्यक्ति था और सभी का भला सोचता था |

पिताजी के जाने के बाद बड़े भाई विजय ने सारी की सारी संपत्ति हथिया ली और छोटे भाई संजय को फूटी कौड़ी भी नहीं दी और बड़ी ही मिन्नतें करने के बाद अपने घर के पास की एक कोठरी संजय को रहने के लिए दी |

तीन बौने, जादुई चक्की और संजय

अब विजय तो धन-धान्य से भरपूर था तो ऐशों-आराम की जिंदगी जीता था लेकिन संजय के पास अपने बच्चों को खिलाने के लिए भी बड़ी ही मुश्किल से मिल पाता था |

ऐसे ही कई दिन बीत गए और दीपावली का त्यौहार नजदीक आ गया | 

एक तरफ विजय ने अपने घर को अच्छे से रंगवा-पुतवा कर सजा दिया और घर में नए-नए पकवान बने एवं सब के लिए नए कपडे आये वहीँ दूसरी तरफ संजय के घर पर खाने के लिए भी कुछ नहीं था |

जेठ के घर को सजता देख और वहीँ खुद को ऐसे हालातों में देख संजय की धर्मपत्नी ने संजय को अपने बड़े भाई से मदद मांगने के लिए उसके घर भेज दिया |

उसने सोचा कि त्यौहार है और ऐसे में वह उनकी मदद करने के लिए ना नहीं कहेंगे |

लेकिन जब संजय ने बड़े भाई के पास जाकर उस से मदद मांगी तो उसे डांट-फटकार कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया |

बड़े भाई के मदद करने से मना करने पर अब संजय ने सोचा कि त्यौहार का समय है तो वह पास के ही बाजार में जाकर काम ढूंढेगा और जो भी पैसे मिलेंगे उस से कुछ अनाज व मिठाई अपने घर ले जाएगा |

संजय बजार जा ही रहा था कि उसे रास्ते में एक बुढ़िया दिखाई दी जिसके पास काफी सारा सामान था लेकिन उस से वह सामान उठाया नहीं जा रहा था |

संजय ने बुढ़िया के पास जाकर मदद की पेशकश की |

बुढ़िया ने संजय की मदद स्वीकार की और वह दोनों बुढ़िया के घर की ओर चल दिए |

चलते-चलते उस बुढ़िया ने संजय से उसके काम,परिवार आदि के बारे में भी पूछा जिस से उसे संजय के हालातों के बारे में पता चला |

बुढ़िया ने घर पर पहुँचते ही संजय को ईनाम स्वरुप कुछ रूपये दिए और कहा कि वह उसे देना तो बहुत कुछ चाहती है पर उस के पास अभी यह ही है |

यह सुनकर संजय ने उस बुढ़िया से कहा कि उसे रुपयों से ज़्यादा उसका आशीर्वाद चाहिए |


यह सुन बुढ़िया बहुत खुश हुई और अपने घर से जाकर तीन रोटी ले आयी और संजय को दे दी | 

बुढ़िया ने संजय से कहा कि यह मीठी रोटियां हैं और इन्हें लेकर वह पहाड़ी के पीछे वाले रास्ते पर जाए जहाँ एक आलूबुखारे के पेड़ के नीचे एक छोटा सा घर है | 

उस घर में तीन बौने रहते हैं जिन्हें यह मीठी रोटियां बहुत पसंद हैं तो वह इन रोटियों के बदले उन बौनों से एक जादुई चक्की मांग ले जिस से वह धन-धान्य से परिपूर्ण हो सकेगा |

यह सब सुनकर संजय वह तीन रोटियां लेकर उस आलूबुखारे के पेड़ के पास पहुंचा और देखा कि पास में ही एक छोटा-सा घर भी है |

संजय ने दरवाजा खटखटाया लेकिन उस घर से कोई भी बाहर निकल कर नहीं आया |

संजय ने देखा कि दरवाजा तो अंदर की तरफ खुला हुआ है और वह उस दरवाजे को खोलकर घर के अंदर चला गया | 

जैसे ही वह उस घर में घुसा उसने देखा कि  उस घर में तीन बौने आपस में खेल रहे हैं | 

तीन बौने अपने घर में जादुई चक्की के साथ |

संजय को ऐसे घर में घुसता देख वह बौने उस पर भड़क गए और उस पर चिल्लाने लगे जिस से डरकर संजय ने उन तीनों को वह मीठी रोटियां दे दी | 
तीनों मीठी रोटियां पाकर बहुत खुश हुए और संजय से जो भी वह चाहे उसे मांगने के लिए कहा |

संजय ने बुढ़िया के कहे अनुसार जादुई चक्की मांग ली |

बौनों ने वह चक्की उसे दे दी और कहा कि यह कोई मामूली चक्की नहीं है, वह इस से जो कुछ भी मांगेगा उसे मिल जाएगा इसलिए वह इसका सही से उपयोग करे |

एक बौने ने संजय को चक्की का उपयोग करना भी सिखाया | 

उस ने चक्की से कहा - " चक्की-चक्की चावल दो ! "

देखते ही देखते चक्की से चावल निकलने लगे और निकलते ही जा रहे थे |

उन्होंने संजय को यह भी बताया कि एक बार चलने  के बाद यह चक्की चलती ही रहती है इसलिए इसे बंद करने के लिए इस के ऊपर एक लाल रंग का कपडा डालना पड़ता है |

और जैसे ही बौनों ने चक्की के ऊपर लाल कपडा डाला वह बंद हो गयी |
सब बातों को समझ कर संजय ने बौनों को धन्यवाद कहा और वह चक्की लेकर अपने घर लौट आया | 

संजय ने घर पहुंचते ही अपने बच्चों को और अपनी पत्नी को अपने पास बुलाया और उन्हें चक्की के बारे में सब कुछ बताया |

सब कुछ बताने के बाद संजय ने कहा- " चक्की-चक्की चावल दो ! "

देखते ही देखते चक्की से चावल निकलने लगे और चावलों का पहाड़-सा इखट्टा हो गया और संजय ने लाल कपडा डाल कर उस चक्की को रोक दिया | 

यह सब देखकर सब बहुत खुश हुए और संजय ने उस चक्की से घी, दाल, नमक और गेहूं निकाल लिए |

उस रात पूरे परिवार ने भर-पेट खाना खाया और जश्न मनाया |

अब संजय हर रोज अपनी जरुरत का सारा सामान चक्की से ही निकालता और साथ ही कुछ अनाज भी निकालता जिसे जाकर वह बाजार में बेच दिया करता था जिस से मिले पैसों से वह अपने परिवार के लिए कपडे एवं अन्य सामानों को खरीद लाता था |

एक दिन संजय ने चक्की की सहायता से अनाज का व्यवसाय करना शुरू कर दिया |

चक्की-चक्की अनाज दो !



अब वह रोज अनाज निकालता और उसे इखट्टा करता और सप्ताह के अंत में मंडी में बेच आता और खूब धन कमाता | 

धीरे-धीरे इस धन से संजय ने अपने लिए एक नए घर का निर्माण करवा लिया और अपनी पत्नी के लिए गहने भी बनवाये |

संजय का जीवन अब बड़ा खुशहाल हो गया था लेकिन विजय अपने छोटे भाई से जलने लगा |

विजय हमेशा यह ही सोचता कि ना तो संजय के पास कोई खेत है ना ही कोई गोदाम है तो यह इतना सारा अनाज कहाँ से लाता है, जरूर दाल में कुछ काला है !

एक दिन विजय ने फैसला किया कि वह इस राज का पता लगाएगा और वह शाम के समय संजय के घर उस से मिलने पहुंचा |

संजय ने अपने बड़े भाई को बड़े ही आदर के साथ घर में बिठाया और भोजन भी कराया |

अब रात हो चुकी थी तो संजय ने अपने भाई विजय को रोक लिया और उस से रात को वहीँ सोने का आग्रह किया | 

विजय ने तुरंत ही हाँ कर दिया, यह तो उसे एक अच्छा मौका मिल गया था अपने छोटे भाई का सच जानने का | 

अब जैसे ही आधी रात हुई तो विजय ने छिपकर संजय के घर के आँगन में देखा कि संजय आँगन में ही खड़ा है और पास ही एक चक्की रखी है | 

अब जैसे ही संजय ने बोला- " चक्की-चक्की अनाज दो ! " तो उसमें से ढेर सारा नाज निकलता गया 
, विजय समझ गया कि संजय की सुख-समृद्धी के पीछे इसी चक्की का हाथ है |

अब अगले दिन विजय संजय के घर से वापस अपने घर जाने को हुआ और उस ने मौका देखकर वह चक्की चुरा ली |

चक्की चुराकर विजय तेजी से अपने घर भागा और अपने सारे पैसे-गहने एवं अपने बच्चों और पत्नी को लेकर समुद्र के किनारे पहुँच गया और एक नाव खरीद ली |

वह जल्दी से अपने परिवार के साथ उस नाव में सवार हो गया और नाव को किनारे से दूर ले गया |

पत्नी और बच्चों ने उस से पूछा कि आखिर अचानक से उन्हें यह गांव और घर सब छोड़कर क्यों भागना पड़ रहा है ?

इस पर विजय ने उन सब को सारी कहानी बताई और समझाया कि कैसे इस जादुई चक्की से वह कहीं दूसरे देश में जाकर बस जायेंगे और संजय की तरह इस चक्की की सहायता से बहुत धनवान हो जाएंगे |

पत्नी ने विजय से कहा कि अगर वाकई में यह चक्की जादुई है तो विजय इस से कुछ मांग कर दिखाए |

विजय ने अपने बच्चों और पत्नी को भरोसा दिलाने के लिए तुरंत कहा- " चक्की-चक्की नमक दो ! "

बस फिर क्या था चक्की से नमक निकलना चालू हो गया और निकल ही रहा था | 

देखते ही देखते पूरी नाव में नमक भरने लगा और नाव में वजन बढ़ने लगा |

हर तरफ नमक ही नमक देखकर विजय की पत्नी चौंक गयी और उसने अपने पति से उस चक्की को बंद करने के लिए कहा |

 विजय ने तुरंत कहा- " चक्की-चक्की बंद हो जाओ ! "लेकिन चक्की चलती ही रही |

अब विजय ने सारे हथकंडे अपना लिए लेकिन चक्की चलती ही रही |
उसे चक्की को चलाना तो आता था पर बंद करना नहीं | 

अब क्या था नमक के वजन से नाव डूबने लगी और क्यूंकि विजय और उसका परिवार किनारे से दूर थे तो वह भी  नाव और चक्की के साथ उस समुद्र में डूब गए |

यह कहानी भारत देश के समुद्री इलाकों में काफी प्रसिद्द है और बड़े-बूढ़े कहते हैं कि आज जो धरती पर समुद्र(सागर) का पानी नमकीन या खारा है वह इसी चक्की की वजह से ही है | 

शिक्षा- लालच सबकुछ ले डूबता है जब तक किसी भी यंत्र के बारे में पूरी जानकारी ना हो तब तक उसका उपयोग नहीं करना चाहिए |

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