Wednesday, November 1, 2023

संगत का असर - पंचतंत्र की कहानी

एक बार की बात है एक जंगल में एक आदिवासी कबीला रहता था जो कि काफी खूँखार माना जाता था | 

इस कबीले का एक सरदार भी था जिसको चिड़िया पालने का काफी शौक था और उसके पास कई प्रकार की चिड़ियों का संग्रह भी था जिन्हें उसने पिंजरों में कैद कर रखा था | 

एक दिन शिकार पर जाते हुए उस सरदार ने दो तोते देखे जो जंगल के तालाब के पास विचरण कर रहे थे |

कबीले का सरदार तोतों को तालाब के पास विचरण करते हुए देखता है |

सरदार ने बड़ी ही चालाकी के साथ दोनों तोतों को पकड़ लिया और अपने साथ अपने कबीले पर ले जाने लगा लेकिन इतने में ही एक तोता उस सरदार के चंगुल से भाग निकला और कबीले से दूर जंगल के दूसरी ओर चला गया |

पहला तोता तो पिंजरे में कैद उस खूँखार कबीले के सरदार के पास था और दूसरा तोता जो उड़ गया था वह जंगल में एक साधु की कुटिया के पास ही बस गया और उसने साधु की कुटिया के बाहर ही अपना घोंसला भी बना लिया |

चूँकि तोता बोल सकता था तो कबीले के सरदार ने तोते को अपनी भाषा सिखाई जो कि तोता कुछ ही महीने में सीख गया | 

उधर दूसरी तरफ उस साधु ने तोते को कई मंत्र सिखाये और ज्ञान भी दिया जिस से दूसरा तोता काफी विद्वान हो गया | 

एक बार जंगल के एक पास के राज्य का राजा अपना राज्य को अपने पुत्रों को सौंपकर वनवास के लिए उसी जंगल में चला गया | 

जब वह राजा जंगल में उस कबीले के पास से गुजरा तो सोचा कि इस कबीले के लोगों के साथ कुछ वक्त गुजारे इसलिए वह उस कबीले के अंदर चला गया | 

राजा को कबीले के अंदर आता देख कबीले के सरदार का तोता जोर-जोर से चीखने लगा- "हमारे कबीले में कोई घुसपैठिया आ गया है, इसको पकड़ लो और मार दो , मार दो !"

यह सुन राजा चौंकन्ना हो गया और वहां से दूर जंगल के दूसरी तरफ भाग गया | 

जंगल के दूसरी तरफ जाते समय उसने देखा कि एक साधु ने एक कुटिया बना रखी है |

राजा साधु से मिलने के लिए जैसे ही कुटिया की तरफ बढ़ा तो कुटिया के बाहर बैठे तोते ने राजा से आवाज लगाकर कहा- "आइये श्रीमान, इस कुटिया में आपका स्वागत है |"

राजा जब साधु की कुटिया के पास पहुँचता है तो दूसरा तोता उसका सादर-सत्कार करता है

"गुरुदेव, देखिये कोई राहगीर हमारी कुटिया में आया है, हो सके तो इनके भोजन-पानी की व्यवस्था करीए |"

यह सुन राजा दंग रह गया और वह साधु भी अपनी कुटिया से बाहर निकल आये और राजा का स्वागत-सत्कार भी किया |

जलपान करने के बाद उस राजा ने साधु को अपनी कहानी बताई और बतलाया कि कैसे उनकी संगती में पला-बड़ा तोता कितना आदरणीय है लेकिन उस खूँखार कबीले के सरदार का तोता कितना रुष्ट |

राजा अब समझ गया था कि किसी भी प्राणी का व्यव्हार उसके वातावरण  या उसकी संगत ही तय करते हैं यानी "संगती का प्रभाव" काफी गहरा होता है | 

शिक्षा - प्राणी की असली पहचान उसकी संगत से बतलायी जा सकती है  |   

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